ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

प्यारा प्यारा नन्हा लल्ला-कमलेश कुमार कारुष

🧒प्यारा प्यारा नन्हा लल्ला🧒
नन्हा   मुन्हा   प्यारा   लल्ला,
हसके खी खी  करता  हल्ला,
झालरदार  है  जिसकी  चोटी,
हाथ   में   लेकर   खाए  रोटी।

बाबा   बाबा   कहता   बब्बा,
लेके    हाथ    बजाये   डब्बा,
गीली  मिट्टी  को   वह   साने,
मम्मी  के   बालो   को   ताने।

जब  पापा  स्कूल   से  आते,
उसको      साबूदाना    लाते,
नामू    नामू    करके    खाए,
करता वही जो  उसको  भाए।

घुटनों के  बल  दौड़   लगाए,
पकड़ खटोले  पर  चढ़ जाए,
खीचे    ताने     बिल्ली   पूंछ,
हस  हस   खेले   रहता  छूंछ।

जब   आये  पापा  के   कोरा,
मुंह    बनाये     थोरा    थोरा,
नन्हे  -  नन्हे    हाथों      मारे,
दे   किलकारी   कान   उपारे।

गुड्डा  गड्डी   गुड़   गुड़   खेले,
अपने    नन्हे    हाथों    लेले,
बाल    संवारे    लेके    कंघी,
जैसे    खेल   खिलौने   संघी।

फाड़े कभी  किताब  के  पन्ने,
कभी   हाथ    में   चूसे   गन्ने,
कभी  हाथ  से  पकड़े  कन्डा,
मारे     कुत्ते     डन्डा    डन्डा।

उसकी  नटखट  बड़ी अदाएं,
सब हसते रहते  देख कलाएं,
प्यार  से  कहते  सब  उत्कर्ष,
कारुष  दिल  में  बसता  हर्ष।

रचनाकार 
कमलेश कुमार कारुष 
बबुरा रघुनाथ सिंह 
ब्लाक हलिया 
जनपद मीरजापुर

Post a Comment

0 Comments