समय और जगह निश्चित है।
एक गरीब से परिवार में पैदा हुआ गोकुल चन्द पहले खेती बाड़ी करता था पर खेती बरसात पर निर्भर होने के कारण घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया था। फिर खाली समय में मजदूरी करने लगा। राज मिस्त्री के साथ मजदूरी करते करते कुछ दिनों बाद राज मिस्त्री बन गया। खूब दिल लगाकर काम करता था तो लोग उसे एडवांस में काम देने लगे। उसने 2-3 आदमी स्थायी तौर पर अपने साथ रख रखे थे जिससे मजदूर की दिक्कत भी खत्म हो गई थी। अब धीरे धीरे काम का ठेका लेने लगा। कभी नहर तो कभी नालियों का। गांव में सभी उसे ठेकेदार के नाम से जानने लगे थे।
एक बार विधानसभा का चुनाव हो रहा था। एक दिन कुछ मौजीज आदमी गाड़ी लेकर उसके पास आए कि उसकी ससुराल में अपनी पार्टी के नेता के लिए प्रचार करना है और रिश्तेदारों को वोट के लिए प्रेरित करना है। उस दिन उसके पास कोई खास काम भी नहीं था। वह झट से कुछ ही पल में तैयार होकर गाड़ी में बैठ गया।
करीब एक घंटे बाद सभी गोकुल चन्द की ससुराल में थे। जाकर बैठक में बैठ गये। आवभगत हुई, राजी खुशी की बातें हुई। हुक्का भर दिया गया। चाय का संदेश घर में दे दिया गया था। चुनाव की बातें शुरू हो गई और उनके वहां आने का मकसद भी बता दिया गया था। इतनी देर में चाय आ गई थी।
सभी को चाय थमा दी गई थी और सभी ने चुश्की लेनी शुरू कर दी थी। पर ये क्या गोकुल चन्द पहली चुश्की लेने के लिए कप को होंठों तक ले ही गया था कि धड़ाम से गिर गया पहली घूंट भी नहीं ले पाया था। बैठक में बैठे सभी लोग हैरान हो गए। जल्दी से उठाकर अस्पताल ले जाया गया पर जब तक बहुत देर हो चुकी थी। इसे दिल का फेल होना कहते हैं।
बिना किसी पूर्व प्रोग्राम के अचानक से प्रोग्राम बनना और बिना किसी पूर्व तकलीफ़ के सांसों का अचानक से खत्म हो जाना और वो भी खुद की ससुराल में, यही दर्शाता है कि समय और जगह पहले से ही निश्चित होती है।