गुरुकुल अखंड भारत साहित्य, कला एवं संस्कृति की त्रैमासिक पत्रिका



अनुशंसा
आत्मीय पाठकों,

त्योहार हमारी संस्कृति एवं सामाजिक समरसता के महत्वपूर्ण अंग हैं।हमारी सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत के प्रतीक हैं।त्योहार भारतीय जनमानस के रग रग में रचे बसे हैं।आज जब यह अंक आपके सम्मुख प्रस्तुत किया जा रहा है तो सम्पूर्ण भारत में शक्ति की उपासना का पर्व पूरी शृद्धा एवं आस्था के साथ मनाया जा रहा है। हम माँ जगदम्बा से यही कामना करते हैं कि आप सभी के जीवन में वे तमाम खुशियाँ सम्मिलित हों जिनकी आपने अपेक्षा की हो।
शिक्षा, संस्कृति, एवं कला के संवर्धन के लिए जो प्रयास गुरुकुल अखण्ड भारत के द्वारा किया जा रहा है वह अत्यंत महत्वपूर्ण एवं सराहनीय है।आज के व्यस्ततम समय में सामाजिक चिंतन ही अपने आप मे श्लाघ्य है।
गुरुकुल अखण्ड भारत की यह पहल उन तमाम रचनाकारों को मंच प्रदान करने का काम कर रही है जो आम जनमानस तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। सभी रचनाकारों की रचनाधर्मिता को नमन करते हुए मैं सभी को साधुवाद देता हूँ और पत्रिका के सफल सम्पादन के लिए गुरुकुल अखण्ड भारत की पूरी टीम को बधाई देते हुए सभी को भारतीय नव वर्ष की शुभकामनाएं सम्प्रेषित करता हूँ।
आप खुशियाँ मनाएं नए वर्ष में।
ज्योति जगमग जगाएं नए वर्ष में।
सुख की सरिता बहे आपके द्वार पर, 
आप जिसमें नहाएं नए वर्ष में।।

"अर्कवंशी" कृष्णपाल सिंह दिनकर 
           प्रधान सम्पादक
        गुरुकुल अखण्ड भारत।




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