स्वामी श्रद्धा नन्द सरस्वती
(सन्1857-1928)
======!========
अध्यक्ष आर्य प्रतिनिधि सभा के, लाला मुंशीराम प्रथम नाम था।
गुरू कुल स्धापन के हित में, भीष्म प्रतिज्ञा किया प्रखर था।।
तीस हजारी संग्रह कर लुंगा, तब घर में अपने पैर धरूंगा।
गुरुकुल को स्थापित करके, वैदिक शिक्षा प्रारम्भ करूंगा।।
साकार रुप देकर सपने को, मातृ भाषा माध्यम अपनाया।
इन्द्र हरिश्चन्द सुत दोनों को, प्रथम चरण में शिष्य बनाया।।
विश्व विद्यालय कलकत्ता के, मि0वैंडलर ने यह स्वीकार किया।
पूर्ण सफलता मिली गुरूकुल को, मातृभाषा में शिक्षण अंगीकार किया।।
भारतीय समाज सुधार क्षेत्र में, गुरुकुल का योगदान अप्रतिम था।
खान पान परहेजी,जाति पाति था, पंगत भोजन अद्भुत कदम था।।
डा0अंसारी,मि0जिन्ना,डा0किचलू,आसफ अली जैसे मुस्लिम नेता।
ब्रम्हचारियों के संग भोज किये थे, स्वामी श्रद्धानंद जब बने प्रणेता।।
जात-पात तोड़क मंडल के, अधिवेशन अध्यक्ष बने थे।
निज पुत्री, पुत्रों के दोनों वैवाहिक, अन्तर्जातीय सम्बंध किये थे।।
हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान के पोषक, अछूतों के सच्चे उद्धारक थे।
दलितोद्धार सभा के संयोजक, दलितों के सच्चे परित्राणक थे।।
सद्धर्म प्रचारक पत्र दिये जो, शुद्धि मंत्र के थे उद्गाता।
श्रद्धानन्द थे वह बलिदानी, आर्य जनों के भाग्य विधाता।।
====================================
0 Comments