हमारे संस्कार
नैतिकता की कमी से बिगड़ रही औलाद।
संस्कार इनको अच्छे दो बन जाएं फौलाद।।
नही जानते सदाचार ये नीति विदेशी पढ़ते।भारत की संस्कृति से दिन पर दिन हैं चिढ़ते।।
सारी कमियां हिंदू में हैं यह सबको बतलाते।
वेद ग्रंथ को कहें काल्पनिक तथ्य अनेकों लाते।
बात पूर्वजों की सब भूले, भूले शिष्टा चार।भारत की संस्कृति भूले, भूले सब सत्कार।।
आओ मिल संकल्प लें सीखें गीता सार।
शिक्षा का हथियार उठा लें खिल जाए संसार।
सत्य सनातन अद्भुत जग में दिखलाता नए रंग।दिनकर की अद्भुत किरणों सम नित नव भरे उमंग।।
✍️(अर्कवंशी) पंकज सिंह "दिनकर"लखनऊ उत्तर प्रदेश
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