🙏हे ऊपर वाले🙏
विधा - {लघुकथा}
सुबह-सुबह की मधुर बेला में बालक चिंटू जंगल में लकड़ी लाने हेतु मां से आदेश लेने जाता है। मां घर में भोजन बनाने के लिए लकड़ियां नही हैं,अतएव मुझे आदेश दो लकड़ी लेने जाऊंगा,हाथ जोड़कर चिंटू बोला।जाओ वेटा पर एक बात सदैव ध्यान रखना जब भी कोई संकट आये तो अपने मम्मी की ये बातें जरूर सोचना कि जब समस्या में जिसका कोई साथ नहीं देता तो उसका "ऊपर वाला" जरूर साथ देता है, बच्चे के सर पर हाथ सहलाकर मां बोली। मां की इन बातों को दिमाग में संजोते हुए चिंटू घनघोर जंगल में पहुंचता है। वहां पर एक विशालकाय पेड़ जिसकी ऊपरी शाखाएं एक भयंकर मांद (गुफा) से सटीं हुयी थी, जिसमें एक विशालकाय काला भालू रहता था। यह बात चिंटू को पता नहीं था और चिंटू उसी पेड़ पर सूखी लकड़ियों को काटने हतु चढ़ गया। पहले से घात लगाये भालू अपने मांद के प्रवेश द्वार पर बैठा था कि चिंटू और भालू दोनों की आपस में नजरें लड़ गयीं।चिंटू भय से थर थर कांपते हुए पेड़ से नीचे उतरने को तैयार हुआ कि नीचे जमीन से चलता हुआ एक भयंकर काला सांप पेड़ की ओर बढ़ रहा था। दोनों तरफ बिपत्ति का टूटता पहाड़ देख चिंटू भय से स्तब्ध रह गया। फिर एकाएक उसके कान में उसके मां कि ध्वनि सुनायी दी और वह बोल उठा "हे ऊपर वाले" समस्याओं में जिसका कोई साथ नहीं देता उसका साथ तुम देते हो।अतः "हे ऊपर वाले" समस्या में फसे मुझ पर कृपा कर मेरा साथ दो। फिर क्या अजीब चमत्कार हुआ।जैसे ही काला भालू छलांग लगाया चिंटू को खाने के लिए दुर्भाग्य वश जमीन पर चलते काले सांप के ऊपर कई फीट नीचे धड़ाम से गिरा। परिणामस्वरूप काला भालू और काला सांप एक दूसरे के भयंकर टकराव की वजह से भर्ता बन काल के गाल में समाहित हो गये।चिंटू धीरे धीरे जमीन पर उतरा और बोला वाकई में जिसका कोई नही होता उसका "ऊपर वाला" होता है। "हे ऊपर वाले" जान बचाने के लिए तहे-दिल से शुक्रिया।🙏
कलम से✍️
कमलेश कुमार कारुष
बबुरा रघुनाथ सिंह, ब्लाक हलिया,
जनपद मीरजापुर, उoप्रo

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