✍ कहां खोये हो?✍
कहां खोये हो मन मतवाले,
भटक चुका है कहां दिमाग।
अब भी लगजा लक्ष्य में तूं ,
समय अमूल्य रहा है भाग।।
वीता समय ना वापस आये,
क्यों बैठे पसराये टांग।
निशि दिन सोते रहोगे यारों,
कभी ना होगा पूरण मांग।।
लक्ष्य बनाओ मंजील पाना,
रुचि तन मन से लाग।
चित मत विचलित होने देना,
प्रतिपल पाने लक्ष्य में जाग।।
आज नहीं हम कल कर लेंगे,
ऐसे निशि दिन गाते राग।
धीरे-धीरे सब बीत जायेगा,
नही मिलेगा कोई फाग।।
आंख मूंद निज मन से सोचो,
समय खो गया कितना भाग।
अबल नसानी अब न नसैहों,
रमजा कारुष निश दिन जाग।।
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रचनाकार
कमलेश कुमार कारुष
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