ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

महबूब- प्रतिभा पांडे चेन्नई

विषय-महबूब              

क्या कहूँ किसी से ,
तू तो एक राज है,
चुपके से सबसे छुपाते हैं ,
तेरी चाहत दिल में दफन है ,
बस हर रोज याद का एक और चादर चढाते है |

तू मेरा ओ सांस है ,
जो चुपचाप गुदगुदाया करता है ,
दिन रात मेरे अन्दर आने-जाने वाले,
सुखद सुकून देकर हमें रिझाया करता है ,
इश्क़ बेशुमार है बताया करता हैं |

हर सपने तेरा जिक्र करती है ,
सुबह होते ही तेरा निशान ढूँढ़ती हूँ 
मुझे मालूम हैं तू प्रत्यक्ष बहुत दूर है ,
पर एहसासों में तेरा रूह पाती हूँ |

ना कभी भूलाया जा सके,
चाहत को भी चाहत है तुझसे,
'मेहबूब' मेरे तू जीवन का वो रंगीन कागज़ है,
जो हर पल-पल में नया रंग भरता है मुझमें |

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प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
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