ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

पुराने प्रेम से दुबारा प्यार नहीं हो सकता - प्रतिभा पांडे चेन्नई

पुराने प्रेम से दुबारा प्यार नहीं हो सकता 

बुरी तरह वही तोड़ते हैं ,
जो अच्छी तरह जानते हैं !
लाख करो खिदमत ,
दिल से बेवफा ही मानते हैं !
बेवफा से प्यार, वफादार से तकरार ,
समय का मार , गिरेबान पर वार
फलता नहीं .......!

कभी किसी ने कहा था मुझे ,
तेरा हँसता हुआ चेहरा अच्छा लगता है !
नशीली आँखों से आंसू न बहाया करो ,
दुनिया में एक तू ही सच्चा लगता है !

प्रेमिका के रुप में असीमित प्यार चाहा उसने ,
शहनाई के बाद भी इकरार चाहा उसने !
मिली थी एक रोज कुछ समय के लिए ,
समय कम था, पर काफी था अनुभव के लिए !
पुराने प्रेम से दुबारा प्यार नहीं हो सकता ,
पीछे छूट चुका यार, कभी तुम्हारा नहीं हो सकता !
वो ढूंढेगा पहली सी बात ,
और
शादी के बाद किसी में कुंवारापन नहीं हो सकता !

काश कि हम मिले ही नहीं होते ,
जज्बातों से जज्बात के गिले नहीं होते !
पश्चाताप नहीं करता घायल दिल ,
दिल की हसरतें, फिर से ना मिल !
अंदर तक फिर से तोड़ दिया ,
अधभरा घाव फिर से कुरेद दिया !
न लौटना अब कभी उसकी गली में 
बेदर्दी ने सारे रास्ते पर छल्ला उकेर दिया !!
 

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प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
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