ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

मेरी माटी मेरा देश-कमलेश कुमार कारुश

मेरी माटी मेरा देश

नीली पीली हरी सुनहली,
दोमट बलुयी काली है।
ओ मेरे देश की माटी सनी हुयी,
चंदन खुशबू वाली है।।

हिमालय पर्वत शोहता,
मुकुट रूप में प्यारा है।
सागर हिन्द हिन्द पग धोये,
थाल रूप में न्यारा है।।
जहं भाँति भाँति खग बसे पेड़ पे,
जिसकी झूमे डाली है।
ओ मेरे देश की माटी सनी हुयी,
चंदन खुशबू वाली है।।

तिरंगा ध्वज तीन रंग का,
शान्ति क्रांति विकास बताए।
अशोक चक्र चौबीस तिल्लियां,
हर उन्नतियां राह जताए।।
हरी भरी प्रकृति की सुषमा,
जहं सजी प्रेम की थाली है।
ओ मेरे देश की माटी सनी हुयी,
चंदन खुशबू वाली है।।

अनेकता में एकता वाला,
भिन्न भाषाएं बोल हैं।
ओ मेरा भारत वर्ष महान,
माटी अति अनमोल है।।
नमन हृदय हे मातृभूमि, 
कारुष करबद्ध ताली है।
ओ मेरे देश की माटी सनी हुयी,
चंदन खुशबू वाली है।।

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कलम से✍
कमलेश कुमार कारुष 
मिर्जापुर
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