ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

शीर्षक:- युवा हैं हम-हिंदी दिवस

शीर्षक:- युवा हैं हम


हम युवा हिन्दी से हिन्दुस्तान का गौरव बढायेंगे,
तन मन धन से निजभाषा उन्नति का नारा लगायेंगे |

अभिनंदन संस्कृति का, अभिलाषा जन-गण-मन गाते रहें,
हिन्दी से हिन्दुस्तान का हर कोना-कोना सजायेंगे |

हिन्दुस्तान के हम युवा, हिन्दी के केन्द्र बिन्दु हैं,
अपनी ताकत से, हिन्दी का परचम,पूरे विश्व में फहराएंगे |

फिल्मों के सिरताज मुकुट, हमारे सिर बिराजे हैं, 
भारत में धूम मचाये हैं, विदेशो में भी धाक जमायेंगे |

सभी भाषाओं की जननी संस्कृत मनोरम की बेटी हिन्दी,
सरस, सुन्दर, मीठी, सरल हिन्दी को घर-घर पहुंचायेंगे |

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प्रतिभा पाण्डेय"प्रति"
 चेन्नई
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गणित अंग्रेजी के प्रश्न चुभते थे किन्तु,
             हिन्दी की कहानी का ख्वाब रख लेते थे।
कविता कहानी का, अनार और ज्ञानी का,
             पाई _ मात्राओं का हिसाब रख लेते थे l

भाषा के भाषण प्रतियोगिता में पाए हुए,
             यत्नों से सजोंकर खिताब रख लेते थे।
बाकी सभी रद्दियों के भाव बिक जाती थीं,
              किताबों में हिन्दी की किताब रख लेते थे।।
                  
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(लवकुश शुक्ल)
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हिंदी दिवस विशेष (कविता)
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जय हो हिंदी भाषा प्यारी,
भारत मां की राज दुलारी,
बाईस बहनों की बहना है,
हिंदी भारत का गहना है,

प्रेम और सम्मान दिखाती,
हिंदी मानवता सिखलाती,
शब्दों में अंतर बतलाती,
रिश्तों में है फर्क समझाती,

ऐसी प्यारी भाषा को, 
करते है सत सत कोटि नमन,
आओ हम सब होकर के एक,
हिंदी पहुंचाए जन जन तक।

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 - आदित्य कुमार
    (बाल कवि)
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हिंदी
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भाल तिलक सोहे भारत के हिंदी
कंठ ताल मूर्धन्य अयोगवाह प्रवाह है हिंदी
वर्ण के समूह वर्णमाला
स्वर व्यंजन से सजी हिंदी
भाल तिलक भारत के सोहे हिंदी
स्थूल नही है सूक्ष्म वैज्ञानिक है हिंदी
तन विकास और मन
विकास की शब्द संयोजक है हिंदी
भाल तिलक भारत के सोहे हिंदी
सरस सहज समरसता के बोली भाषा प्रकटी हिंदी
लिखित और मौखिक मुख भावों की भाषा हिंदी
भाल तिलक सोहे भारत के माथे हिंदी

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अनामिका
लेखिका, शिक्षिका, सतना
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भावों की अभिव्यक्ति....
 हम सब का अभिमान
 You and me को हटाकर..
 आप और हम की पहचान
 आओ बढ़ाएं मिलकर...
 हम सब हिंदी का ज्ञान
 सम्मान जनित शब्दों को गढ़कर...
 बनाये खुद की पहचान
 आओ दिलाए इस दुनिया में...
 हिंदी को सम्मान

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🌹स्वरचित श्वेता गर्ग 🌹
ग्वालियर मध्य प्रदेश
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हिंदी के सुर तालो से ही नौ स्वर बसे हैं इस अद्भुत नर तन देही में जिससे गली गली मे रची गई मधुशाला !
हर हिंदी प्रीतम ब्रजवाला या मुरलीवाला है!!

जो गीत सुनाए गीता के , अतुलित गुन गाए राम नाम के!
भैरव की डमरू से गाए भारत वैभव की गाथाए!!
ऐसी हिंदी मेरे तेरे माथे की बिदिया!

हिंदी के नव स्वर से रचे गये नव नवल छंद नव नवल मकरंद
जिससे चहु ओर आनंद ही आनंद है! !
जो जिया जीवन हिंदी के संग

उसमे रमी कन्हैया की कंकडी की धुन है 
उसमे रमी राम की पैजनी की धुन !!
इन धुनो के संग जीवन मे आनंद ही आनंद है!!

हिंदी के नव स्वर से रची गयी यह नर तन देही नही नारायण से कम है!!
इसलिए हिंदी मेरे तेरे माथे की बिदिया बिदिया ही श्रृगार की सिरमौर है!!
हिंदी मेरी जग की सिरमौर है!!
हिंदी मेरे जन जन की सिरमौर है!

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भारत प्रसाद प्रजापति
शिक्षक सतना मध्यप्रदेश!
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