ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

अभिलाषा - कमलेश कुमार कारुष प्रा वि किरका शिक्षा क्षेत्र हलिया जनपद मीरजापुर

💛अभिलाषा 💛

हर इंसान के दिल  दरिया  में,
बसती  एक   अभिलाषा   है।
ऊँचे-ऊँचे    ख्वाब    संजोके,
रहती     मौनी     भाषा    है।।

अनंत डोर मूक भाषाओं की,
जो करती  सैर   कल्पना  में।
इच्छाओं का नहि होता अन्त,
घूमती   फिरती  सपना    में।।

हर इन्सान  के   होते   ख्वाब,
दिन दिन  कितना  उन्नति  हो।
हर     इक्षा      हो    यूं    पूरी,
कभी ना  कोई   खोन्नति   हो।।

गाड़ी,   घोड़ा,  मोटर,  बगला,
और  समाज  में  हो  सोहरस।
हर   ओरी   गुणगान  चले  यूं,
कटेला  जिनगी पूरी हस हस।।

इक्षा    सीमा    बड़ी    अनंती,
कितना भी  कुछ  मिल  जाये।
हाही  दुनिया   बड़ी   अजीबी,
कारुष क्या क्या  खिल  पाये।।

रचनाकार 
कमलेश कुमार कारुष
प्रा वि किरका शिक्षा क्षेत्र हलिया 
जनपद मीरजापुर

Post a Comment

0 Comments