शीर्षक:- बस मुझे महसूस करे
भाग:- (2)
विशेष नहीं विशिष्ट चाहिए ,
प्रतिभावान पाना चाहती हूँ।
एक कसक जो अधूरी रह गई,
इश्क के धागे में उसे पिरोना चाहती हूँ।
नहीं पीछा करना,ना हीं प्रेम में पड़ना ,क्योकि ये वाला हिस्सा,बिना गम के मैं जीना चाहती हूँ।
मन खुले जिसके साथ,
खुलकर हँस सके,
खुलकर हँस सके,
ऐसा किसी के साथ होना चाहती हूँ।
दर्पण को नहीं ,मेरे दिल को देखे,बिन बोले सब कुछ समझ ले ,ऐसा कोई अजीज पाना चाहती हूँ
ना करे मिन्नतें,
मिलने मिलाने का,
बस मुझे महसूस करे,
ऐसे गुमनाम का नाम जानना चाहती हूँ....|
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई


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