ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

बस मुझे महसूस करे भाग:- (2)-प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई

शीर्षक:- बस मुझे महसूस करे
      भाग:- (2)

विशेष नहीं विशिष्ट चाहिए ,
प्रतिभावान पाना चाहती हूँ।
एक कसक जो अधूरी रह गई, 
इश्क के धागे में उसे पिरोना चाहती हूँ।

नहीं पीछा करना,
ना हीं प्रेम में पड़ना ,
क्योकि ये वाला हिस्सा,
बिना गम के मैं जीना चाहती हूँ।
 
मन खुले  जिसके साथ,
खुलकर हँस सके,
ऐसा किसी के साथ होना चाहती हूँ।

दर्पण को नहीं ,
मेरे दिल को देखे, 
बिन बोले सब कुछ समझ ले ,
ऐसा कोई अजीज पाना चाहती हूँ
 
ना करे मिन्नतें,
मिलने मिलाने का, 
बस मुझे महसूस करे,
ऐसे गुमनाम का नाम जानना चाहती हूँ....|

प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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