ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

मेरी बेटियाॅं मेरा गर्व-कमलेश कुमार 'कारुष' बबुरा रघुनाथ सिंह मीरजापुर

मेरी बेटियाॅं मेरा गर्व
   

हर बेटी होती गर्व, निज माँ-बाप के लिए,
आओ करें मिल मान, स्वाभिमान के लिए,
शिक्षित बना अच्छी तरह, आगे बढ़ाना है,
होती प्रगति ज्योती, हर अरमान के लिए।

बेटा-बेटी में फर्क, करते हैं कुत्सित जन,
गर्भ में डालते मार, अति बना बनाके मन,
पर पता नहीं उनको, वे भी तो जन्मे गर्भ से,
ऐसे लोग नहीं हैं क्षम्य, चलते हुए इस छन।

बेटों तरह बेटियाॅं भी, होतीं पैदा समान,
हॅंसना, रोना, खेलना, सब जानता जहान,
ओ पढ़ी-लिखी बेटियाॅं, घर रोशनी होतीं,
बन डॉक्टर,इन्जीनियर, वैज्ञानिकों की खान।

बेटा-बेटी के बीच, कभी फर्क नहीं करना,
देखते हुए समान, समभाव तर्क करना,
'बेटी बचा बेटी पढ़ा', नारा लगा 'कारुष', 
'मेरी बेटियाॅं मेरा गर्व',बस ऐसा समझ चलना।

कलम से✍️
कमलेश कुमार 'कारुष'
बबुरा रघुनाथ सिंह 
मीरजापुर

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