कविता। वजह,...!
अक्सर जिस शहर में शांति रहती थी
वहां अशांति की वजह आ गई है
लोग केवल मोहब्बत में कुर्बान होने के दावे करते हैं।
उसे शहर में अनेकों आशिक धरती पर पड़े हैं।
घरों में जो हंसी की गूंज आ रही है
उसकी वजह आज वह बन गए हैं
बिना वजह मां को आज रोने की वजह मिल गई है।
फिर भी बेटों को मोहब्बत करने की सलाह दे रही है कर्जदार है इस धरती के यह बात कह रही है।
हम भी सुहागन मारे वह यह कहते गए लाल
सिंदूरी रंग नहीं तो रक्त में रंग के गए
खुशी है कि सबके दिल में बस गए हैं
आज कितने ही दिलों में कितने ही शहर में
हम शांति की वजह बन गए हैं।
अनुप्रिया कुमारी
Army officer...

0 Comments