कविता बिन बुलाए आ जाती है बेटियां
तमन्ना है बेटों को गोदी में
खिलाने की ना जाने कहां से
आ जाती है बेटियां पोषित करते
है बेटों को फूलों सी खिलखिलाती
हैं बेटियां।
मन्नत मांगी थी बेटों के लिए पर
बिना बुलाए आ जाती है बेटियां।
अरमान होते है बेटों से पर पूरे करती
है बेटियां वादा करते है बेटे पर
उन्हें निभाती है बेटियां।
मन्नत मांगी थी बेटों के लिए पर
बिना बुलाए आ जाती है बेटियां।
किताबे लाएं जाते है बेटों के लिए
पर शिक्षित होती है बेटियां बिना
अधिकार के हर अधिकार ले जाती
है बेटियां ।
मन्नत मांगी थी बेटों की पर बिना
बुलाए आ जाती है बेटियां।
अनुप्रिया ......

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