ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

गलत विश्वास

👉 गलत विश्वास

वैज्ञानिको ने एक प्रयोग में  एक बड़े से टैंक में एक शार्क मछली को रखा। और उसके साथ ही कुछ छोटी मछलियों को भी उसी टैंक में डाल दिया। स्वाभाविक रूपसे शार्कने तुरंत ही उन सारी मछलियों का सफाया कर दिया इसके बाद वैज्ञा निको ने टैंक में एक बहुत ही मजबूत फैबर ग्लास  लगा दिया। और टैंक के दो हिस्से कर दिए। एक हिस्से में शार्क थी। और दुसरे हिस्से में उसने फिर से छोटी मछलियों को डाला। जैसे ही शार्क की नज़र उन पर पड़ी। वो उन्हें खाने के लिए लपकी। पर इस बार बीच में फैबर ग्लास  होने की वजह से शार्क उससे जा टकराई। एक बार टकराने के बाद भी शार्क ने हार नहीं मानी। वो हर कुछ समय के अंतराल के बाद उस दिशा में बढती जहा मछलिया थी,और टकरा के फिर पलट आती। इस दौरान छोटी मछलिया आसानी से और आज़ादी से तैर रही थी। और कुछ एक डेढ़ घंटे के बाद शार्क ने हार मान ली।

ये प्रयोग पुरे हफ़्ते भर में कई बार किया गया। धीरे धीरे शार्क के हमले कम होते गए। और वो ज्यादा जोर भी नहीं लगाती थी। बार बार कोशिश करते रहने से, पर फिर भी मछलियों तक न पहुँचपाने से शार्क ने थक कर हार मान ली। और प्रयास करना छोड़ दिया। कुछ दिनों के बाद वैज्ञानिको ने बिच के फैबर ग्लास को हटा दिया। पर इसके बाद भी शार्क ने कभी हमला नहीं किया। शार्क को पिछले कुछ हफ्तों में विश्वास हो गया था की वो उन मछलियों तक नहीं पहुँच सकती। और दूसरी छोटी मछलिया बिना किसी नुकसान के तैरने लगी। शार्क उन तक पहुँचने के कोशिश भी नहीं करती थी।  पूर्वानुभव के कारण धारणा दृढ़ बन गईऔर पूर्वाग्रह के कारण वस्ताविकता को समझना असंभव बना।

इस प्रसंग की सीख यह है कि जब हम किसी काम के लिए लगातार प्रयास करते हैं और हर बार असफल होते हैं तो हमारी सोच नकारात्मक हो जाती है। धीरे-धीरे प्रयास करना ही बंद कर देते हैं और सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं। अगर हम सफल होना चाहते हैं तो हमें लगातार प्रयास करते रहना चाहिए और कोशिश करना नहीं छोड़ना चाहिए, जब तक कि हम सफल नहीं हो जाते हैं।

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