ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

काफिया _आस रदीफ _लिखना है।-(अर्कवंशी) लखनऊ उत्तर प्रदेश

काफिया _आस
रदीफ _लिखना है।

सजाया  मंच  उपवन  ने  नया इतिहास  लिखना है।
हमें  खुद की  बुलंदी  पर  नया विश्वास  लिखना है।

चलूं नित सत्य  के पथ पर यहीं आवाज  है दिल की।
हमें अपनी  किताबों  पर  सदा  उल्लास  लिखना है।

खिलें कलियां सदा उपवन महक जाए जगत सारा।
यहीं  खूबी   यहीं  चाहत  सदा  बिंदास  लिखना है।

मेरी  इच्छा यहीं  हर  पल  चमन  रोशन  हमारा  हो।
दिलों के  दर्द  को समझूं  सुखद आभास  लिखना है।

चमन  में  पुष्प  नित  महकें  गली गुलजार  हो  जाए।
तमन्ना दिल  की  यह  मेरी  सदा मधुमास  लिखना है।

सुहाना  प्यार  का  मौसम  बिखेरे   रंग   मौसम  ने।
यहीं अरमान दिनकर  के  सदा एहसास लिखना  है।।

 ✍🏽
पंकज सिंह दिनकर
(अर्कवंशी) लखनऊ उत्तर प्रदेश

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