ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

पंच चामर छ्न्द-राघव प्रसाद विश्वकर्मा "राघव"

पंच चामर छ्न्द

करो कृपा गजानना,विकार विघ्न को हरो।
विनास अंधकार का,सदा विनायका करो।।
पुकार दीन हीन की,सुनो तुँ सिद्धिदायका।
सुशोक लोक के हरो,सुश्रृष्टि सर्व नायका।।

महेश शेष शारदा,सदा विरंचि सेविता।
भवानि के सुपूत हे,गणेश आदि पूजिता।।
सिंदूर भाल शोभते,सदा उँदीर वाहना।
रिधी-सिधी विराजतीं,सुसंग ले षड़ानना।।

सुग्यान दान दीजिए,कुचक्र काटिए सदा।
कुदृष्टि से बचाइए,समग्र श्रृष्टि सर्वदा।।
चतुर्भुजा गदाधरे,अविघ्न हे सुरेश्वरा।
महाबला नमामि वक्रतुंड त्वं विशेश्वरा।।

राघव प्रसाद विश्वकर्मा "राघव"

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