परवाज़ .... उड़ान कल्पनाओं की
"अब तो शस्त्र उठाओ तुम"
कब तलक चुप रहोगी तुम
कब तलक रहोगी मौन तुम
स्वयं की रक्षा करनी होगी
अब तो शस्त्र उठाओ तुम
नहीं कोई गोविंद, अब रखवाला
नहीं कोई आएगा, बचाने वाला
स्वयं की शक्ति जगाओ तुम
अब तो शस्त्र उठाओ तुम
अखबारों में सुर्खि तुम बनती
सरकारें सब चालें चलती
कब तक राह तकोगी तुम
अब तो शस्त्र उठाओ तुम
अपनी शक्ति को पहचानों
स्वयं को दुर्गा काली जानों
बनो झांसी की रानी तुम
अब तो शस्त्र उठाओ तुम
स्वरचित रचना बृजबाला गुप्ता
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