ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

बीते लम्हे-नौशाबा जिलानी सुरिया

........ बीते लम्हे.......

खोली जब आज कुछ पुरानी चिट्ठियां 
जिनमे महफिल बीते लम्हों को सजाई थी

मानो वक्त की इजाजत थी
लम्हों ने की हमारी हिफाजत थी

उगता हुआ सूरज,
और ढलती शाम देखकर,
मुस्कुराए थे

जीवन के कुछ हसीन पल ,
संग हमने बिताए थे
एक दूजे  को यादों में हम बसाए थे

खिलखिलाती हंसी के पीछे 
होठों पर जमी एक बात थी
अजीब से थे वो दिन ,अजीब सी रात थी

काश !
उन लम्हों को दुबारा जी लेते हम
फिर से कुछ हंस लेते कुछ मुस्करा लेते हम

सपनो की मंजिल ढूढने चले तो हैं हम
मगर पुराने लम्हों की यादों से आंखे हैं  नम ।।
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नौशाबा जिलानी सुरिया

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