ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

इजाजत नहीं - प्रतिभा पांडे चेन्नई

शीर्षक:- इजाजत नहीं 
तुम बेशक बना सकते हो मुझे अपनी मेहबूबा ,
दिल खोल दर्पण सा दिखा सकते हो, एहसास मीठा !

यकीनन तुम सच्ची मुहब्बत कर सकते हो ,
हद से भी ज्यादा मेरी फिकर कर सकते हो !

ख्वाब में ख्वाइशों का मेला लगा लिया होगा ,
बेकरार दिल,  हमें देख बाग बाग कर लिया होगा !

फ़ितरत नहीं होगा, तेरा मुकरना ,
मनोरथ होगा,  मुझसे जुड़ें रहना !

कभी-कभी हद पार कर जाओगे ,
ना बात करने पर, बेकरार हो जाओगे !

मेरी रूह में प्यार जगाना चाहोगे ,
जो ना मिली, मर जाओगे .........!
 
एक प्रेम भरी दोस्ती से, प्यार करना चाहता हूँ , तक
आज बात नहीं की से, बेताब हूँ मिलना चाहता हूँ ,  तक

सब पैतरा अपना सकते हो ,
धीरे-धीरे चलकर दौड़ लगा सकते हो !

ख्यालों में हमें बुला सकते हो
तुम बिना रोक टोंक प्यार निभा सकते हो......!

पर ,,,,,,,,,,,,,
मेरा तो प्रेम हैं 
मेरे दिल को इश्क़ की इजाजत नहीं तुमसे .........!!

                           प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
                                  चेन्नई

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