ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

धारा-कमलेश कुमार कारुष मिर्जापुर

धारा
धारा    धारा   देखिए,
 धारा   कोमल   होती।
  बड़ी बड़ी चट्टाने काट,
   धारा     धारे    खोती।।

धारा     धारे    खोती,
 ढोती   कूड़ा  करकट।
  फिर भी  नही थकान,
   चलती  जैसे  चरकट।।

कोमलता के वावजूद, 
 कभी   नही   है  हारा।
  धारा   धारा    देखिए,
   बढ़ती   कारुष  धारा।।

कलम से✍️
कमलेश कुमार कारुष 
मिर्जापुर

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