फिर से वापस आओ राम
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श्रीराम अयोध्या लौट आए, खुशियां छाई अपार
द्वार-द्वार पर सजी रंगोली, आया दीवाली त्यौहार
दुल्हन जैसी सजी हुई है, आज अवध की नगरी
आए हैं सिया-राम-लखन, रोशन झिलमिल हो'री
थाली भर-भर बंट रही खुशियां, हो रहे मंगलाचार
सज-धज कर खड़े नर-नारी, कर रहे मीठी मनुहार
मात-पिता की आज्ञा आगे, तज दीना राज दरबार
चौदह वर्ष वन-वन को भटके,किया राक्षसी संहार
अवध नगरी में कायम हुई, राम-राज्य की मिसाल
ऐसी हुई स्थापित मर्यादाएं, जनता हो गई निहाल
राम-राज्य में नहीं था, किसी तरह का भेद-भाव
हम भी आपस में मिटा दें, एक-दूजे से मनमुटाव
राम किसी एक के नहीं, सबके हृदय में बसते राम
मत बांटो जाति-धर्म में, राम तो है आस्था का नाम
'राजस्थानी' तेरी राह देख रहा, ये सकल संसार
फिरसे वापस आओ राम, जगत का करने उद्धार.
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✍️- तुलसीराम 'राजस्थानी'
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