ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

खुशबू-कमलेश कुमार कारुष मिर्जापुर

खुशबू
खुशबू,खुशबू,खुशबू,
खूशबू खूबे प्रसार। 
ख्वाब में खोये खुशबू,
यूं खुश खुशबू संसार।।

यूं खुश खुशबू संसार, 
धार बहती खुशबू की।
खौल उठे तब खून,
यूं बहे धार बदबू की।।

खुशी खुशी खुशहाल,
षटपद खुब रस चुशबू।
यूं खुशबू खेल निराले,
फूलों में खूब खुशबू।।

कलम से✍️
कमलेश कुमार कारुष 
मिर्जापुर

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