ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

कद आस्यो भरतार

कद आस्यो भरतार
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ना तो कोई 
कागद आयो
ना ही कोई संदेस 
गोरड़ी नै  
छोड़ ऐकली
थै जा बैठ्या परदेस
जा बैठ्या परदेस 
कुणसूं करुं 
मनड़ा री बातां
च्यार दिनां री चानणी
पियाजी,,,
फैर अंधेरी रातां
"राजस्थानी"
बाटां जौवे 
थारी गजबण नार
काची काया 
कुळमुळावे 
थै कद आस्यो भरतार.
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✍️- तुलसीराम "राजस्थानी"

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