ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

किधर जाएं ?-अनुप्रिया कुमारी

कविता। किधर जाएं ?
वक्त  पर या चेहरों पर ,
किस पर करे विश्वास न,
जाने कोन सी गली या चौराहे,
 पर कोई शिकारी है खड़ा?

खुद को बचाए या संस्कारों ,
     को हर वक्त ,इन सड़कों 
पर सिमटे से हम चलते है।

कोन समझाए उन लोगो को,
हम भी एक  इंसा है जिससे 
तुम चील व कोवा की तरह नोचते हो।

इस डर से सताए न जाने कितने सपने
देखे तो सही पर पूरे नहीं हुए।

बैंक बैलेंस या सुविधाएं संस्कार नहीं,
सिखाते शायद इसलिए कही शिकारी ,
या दरिंदे परिवार में नजर आते।,

वक्त पर या चेहरों पर,
किस पर करे विश्वास न,
जाने कौन सी गली या चौराहे पर कोई
शिकारी है खड़ा ?

अनुप्रिया कुमारी 

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