ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

प्रीत निभाना-प्रतिभा पाण्डेय"प्रति" चेन्नई

शीर्षक:- प्रीत निभाना
माप ना सकोगे, उदधि से भी ज्यादा गहरा है प्रेम मेरा,
ना आदी, ना अंत, ना किनारा है प्रेम मेरा,
सीप सा जप्त कर रखा है मेरी रूह को तुमने,
समन्दर गर तुम हो तो नदी सा प्रेम मेरा |

अधर की लाली तुमसे है,
खिलती मुस्कान प्यारी तुमसे है,
अकनिय प्रेम, अपरिमित भाव,
खुशी का हर चाह तुमसे है |

खो गई है जिन्दादिल अब,
गुमनाम, गुमसुम रहते है अब,
प्रेम की प्रीत निभाना प्रियवर,
सब कुछ तुम पर न्योछावर है अब |

दिल ताकता राहें तुम्हारी,
बलि बलि जाऊँ तुमपर हे गिरधारी!
अंबक करार कब तक करोगे, 
मेरे प्रिय प्रियतम कृष्ण मुरारी|

प्रतिभा पाण्डेय"प्रति"  
चेन्नई

Post a Comment

0 Comments