ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

शुचिता के प्रसून खिले,सजग सही मत प्रयोग से- महेन्द्र कुमार

शुचिता के प्रसून खिले,सजग सही मत प्रयोग से 
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मतदान लोकतंत्र व्यवस्था,
हर मतदाता परम अधिकार ।
उत्तम नेतृत्व चयन परम,
अवांछित सदैव प्रतिकार ।
राष्ट्र निर्माण सक्रिय भागिता,
उज्ज्वल भविष्य कल्पना योग से ।
शुचिता के प्रसून खिले, सजग सही मत प्रयोग से ।।

जाति धर्म पंथ क्षेत्र परे,
देश धरा सिंहावलोकन ।
तज अंध भक्ति स्वार्थ ,
कारक स्वच्छ प्रजातंत्र मोचन ।
कर कमल अनूप आहूति,
परस्पर भाईचारा सहयोग से ।
शुचिता के प्रसून खिले,सजग सही मत प्रयोग से ।।

शत प्रतिशत मतदान काज,
सुखद परिणाम अहम बिंदु।
ऊर्जस्वित कदम चाल ढाल,
देश धरा वंदन नेह सिंधु ।
अहंकार भ्रष्टाचार अस्त प्रयास,
पारदर्शी शासन आहूत राजयोग से ।
शुचिता के प्रसून खिले,सजग सही मत प्रयोग से ।।

सर्व क्षेत्र समग्र विकास,
मत आभा अर्जुन दृष्टि ।
नारी सशक्ति शिक्षा रोजगार,
निर्धन कृषक कल्याण वृष्टि ।
शीर्ष पद हिंद संस्कृति संस्कार,
सर्व धर्म समभाव संयोग से ।
शुचिता के प्रसून खिले, सजग सही मत प्रयोग से ।।

महेन्द्र कुमार
(स्वरचित मौलिक रचना)

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