कविता
जीवन की पहली कड़ी
जीवन की पहली कड़ी मात_ पिता की छांव।
मात_ पिता हैं दिव्य अमानत मेरा प्यारा गांव।
नही हारते हिम्मत योद्धा पथ पर चलते जाते।
मात पिता बच्चों की खातिर अपना फर्ज निभाते।
धूप छांव का अद्भुत संगम अपना देश महान।
भारत है गांवों में बसता रोशन दिव्य जहान।
रंग प्रकृति का यहां सुनहरा खिलती क्यारी क्यारी।
बागों में नित कोयल बोले अद्भुत छटा निराली।
राम कृष्ण की पावन धरती अद्भुत भारत देश।
तीन देव रक्षा करें ब्रह्मा विष्णु महेश।
संकल्पित हम कलमकार सब लिखें देश हित गीत।
भारत है सोने की चिड़िया हम सब इसके प्रीत।
दिनकर मात पिता की छाया खिलें अनेकों रंग।
धूप, छांव का रहे समागम जीवन रहे उमंग।।
पंकज सिंह "दिनकर"
(अर्कवंशी) लखनऊ उत्तर प्रदेश
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