नही टूटना कभी स्वयं में
नही टूटना कभी स्वयं में होना नही अधीर।
संघर्षों के आदी बनकर बन जाओ रणधीर।
अडिग पथिक हिम्मत ना हारे होवे नही हताश।
सत्य मार्ग पर चलते जाते करते दिव्य प्रकाश।
मिलीं ठोकरें जिसको जितनी उतना हुआ महान।
धैर्यवान धीरज से रहकर रोशन करें जहान।
हार कभी ना अपनी मानो आगे बढ़ते जाओ।
अटल इरादों के हमराही कुछ करके दिखलाओ।
हुए सफल जितने भी प्राणी उनका हुआ विरोध।
पर संकल्पित प्राणी के आगे टिका नही अवरोध।
जो जितना फेमस हुआ उतनी सही बुराई।
अपनो ने भी साथ छोड़ दिया करने लगे लड़ाई।
जीवन के इस रंग मंच पर दुख सुख आते जाते।
चोट करारी जो सह लेता वो पत्थर पूजे जाते।
जिसने जितना दर्द सहा है उतना मिलता प्यार।
"दिनकर" की किरणों के जैसे खिल जाए संसार।।
✍️
पंकज सिंह "दिनकर"
लखनऊ उत्तर प्रदेश
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