ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

लेखक/रचनाकार-पंकज सिंह दिनकर *(अर्कवंशी) लखनऊ उ.प्र.

लेखक/रचनाकार
मैं लेखक साहित्य जगत का लिखता मन की बात।
नित्य    लेखनी   पर   मिले   बड़ी, बड़ी  सौगात।
चाहें  जितने  कठिन  हों मुद्दे उन पर कलम चलाता।
अपनी दिव्य कलम से जग में अपना तेज दिखाता।

लिखता कविता मुख्य बिंदु पर शासन और प्रशासन।
चाहें   होवे  सत्ताधारी  या  फिर  होय दुशासन।
नही   डरी  है  नही  डरेगी  कलम  हमारी  शान ।
अपनी सूक्ष्म कलम के बल पर पाता नित सम्मान।

कलमकार कविता के बल पर लिखते तथ्य अपार।
नही   झुकी  है  कलम  किसी  से  इस  अद्भुत  संसार।
मैं  लेखक  हूं  देश  समर्पित  गीत देश पर गाता।
देशद्रोहियों  गद्दारों  पर  अपनी  कलम उठाता।

लेखक बनना नही सरल है लिखना पड़ता भाव।
लेखक मन उद्गार निराले  अद्भुत दिव्य स्वभाव।
सूक्ष्म कलम पंकज की अद्भुत लिख दे बात निराली।
"दिनकर"  सम  जगमग  रहे   कलमकार  फुलवारी।।
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रचनाकार
पंकज सिंह दिनकर (अर्कवंशी)
लखनऊ उ.प्र.

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