ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष में-पूनम सिंह भदौरिया

विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष में
विधा .कविता
विषय .हिंदी
शीर्षक.हिंदी
दिनांक.10/01/24
दिन.बुधवार
"हिंदी रग रग में बसी,
बिंदी सी माथे सजी,
हिंदी जीवन का आधार,
हिंदी से है बना किरदार,

हिंदी से सम्मान है,
हिंदी हमारी जान है,
हिंदी पुरखो की देन है,
हिंदी दिन और रैन है,

पिता की डांट में है हिंदी,
मां के दुलार में है हिंदी,
राम की मुस्कान में हिंदी
कृष्ण की तान में हिंदी,

द्रोपदी की पुकार में हिंदी,
राधा के प्रेम में हिंदी,
गीता के ज्ञान में हिंदी,
भूमि से चंद्रयान तक हिंदी,

अंग्रेजी कारण हिंदी ,
का तिरस्कार किया था,
अंग्रजो ने भारत को
जब गुलामी का दंश दिया था।,

हिंदी से सम्मान है,
हिंदी से पहचान,
आज शपथ खाए सभी,
हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाएंगे,
फिर से अपनी बगिया में,
हिंदी को सजायेगे"।

स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित 
पूनम सिंह भदौरिया
 दिल्ली भारत

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