काश कोई ऐसा भी साथी
काश कोई ऐसा भी साथी हो, जो दिल की बात समझे,
बिना कहे हर इक ख्वाब को, वो चुपके से ही पढ़ ले।
नज़र मिले तो हंसी बिखेर दे,
और दर्द के हर पल को, अपने साथ समेट ले।
साथ चले वो हर एक मोड़ पर, बिना किसी डर के,
मुश्किलों के तूफान में भी, हाथ कभी न छोड़े।
वो समझे दिल की आवाज़ को, बिना सवाल किए,
और हर खुशी को जीने का, हक मुझे यूँ ही दे।
न हों कोई शिकवे, न शिकायतें हों कभी,
सिर्फ समझदारी से सजे रिश्ते की हो हर इक गली।
जहाँ प्यार हो सच्चा, और विश्वास हो गहरा,
वो साथी हो जैसे, खुदा का दिया कोई चेहरा।
खामोशी में भी सुकून दे, उसकी बातें हों राहत,
हर रात को जैसे ख्वाबों में, वो आके कर दे मोहब्बत।
काश कोई ऐसा हो, जो समझे दिल की सदा,
बन जाए वो ज़िंदगी का सबसे हसीन वफ़ा।
जिंदगी की इस राह में, जब थकान हो मुझे घेर ले,
वो साथी बनके आए, और मुझे फिर से संभाल ले।
काश कोई ऐसा भी साथी हो, जो मेरे साथ सदा रहे,
बिन कहे, बिन बोले, बस यूँ ही मेरे दिल में बसा रहे।
अनुज प्रताप सिंह सूर्यवंशी
पुरनपुर पीलीभीत उत्तर प्रदेश