किसी के दूर जाने से
किसी के दूर जाने से,
वेदना हृदय नहीं भरना।
अगर कोई चोट दे दिल पर,
तो खुदको मजबूत कर लेना।
नयन से बहते दरिया को,
तुम स्वयं ही पी लेना।
किसी के आगे अपने दर्द,
तुम बयाँ नहीं करना।
संसार ये झूठा है, मेरे प्यारों,
सीने में दर्द अपने सदा दफ़न करना।
अगर हो जाओ कभी परेसान,
खुद से बातें किया करना।
पड़े हों धूप में छाले किसी के पग में अगर,
किसी वृक्ष का पल्लव तुम बन जाना।
घंनघोर वारिश का पड़े जब सिर पर कहर,
छाता बनकर के सर उसका अपने हाथों से ढक लेना।
टूटकर गिर भी जाओ तो,
खुशबू बन उपवन में रह जाना।
✍️
कंचन मिश्रा
शाहजहाँपुर, (उ.प्र.)
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