न जाने यह ग्रहण कब हटेगा..
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कुछ मूड,
अजीब सा लगता है,
जैसे भार हो जीवन मे,
महसूस होता है |
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कुछ मूड,
अजीब सा लगता है,
जैसे भार हो जीवन मे,
महसूस होता है |
कोई पूछे हाल चाल,
भले कुछ पल,
लेकिन जिंदगी तभी अच्छी,
जब सब कुछ स्थायी होता है|
आज तो कंचन पर ग्रहण लगा ,
न जाने कब ग्रहण हटेगा |
जीवन के अंधेरे को,
कौन सा सूरज,
कब छलेगा।
हिम्मत के सहारे बीत रही है,
जिम्मेदारियो में उलझी हूँ |
मझधार में मेरी नाव पड़ी,
किनारे होने को तरसी हूँ |
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