न परवाह कर संसार की अब..
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न परवाह कर संसार की अब,
ये वक्त - वक्त पर बदला है।
पड़े जब कष्टों का कहर,
इसने भी दामन बदला है।
दूर करो झूठे लोगों को,
साये से भी इनके दूर रहो।
न कर भरोसा इनपर अब,
सम्मान से इनके दूर रहो।
ये आकर तेरे जीवन में ,
रोशनी को अंधेरे से भरते हैं।
रोकर अपने दुखड़े को,
बदनाम तुम्हीं को करते हैं।
तोड़ मोह के जाल अब,
राह प्रभु की थाम डगर,
जीवन के झूठे जंजालों को,
तोड़ने में अब देर न कर।
दर्द भरे अपने जीवन में भी,
साहस के पथ पर बढ़ता चल।
था क्या अपना जो छूटा है,
भ्रम के रिश्तों से बाहर निकल।
तनिक भी न मन में भय रख अब,
सत्य मार्ग पर बढ़ता चल।
इस अपने - पराये की दुनिया से तू,
अब भी वक्त है बाहर निकल।
✍️
कंचन मिश्रा
शाहजहाँपुर, उ. प्र.
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