ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

जन्म-मृत्यु क्षणिक पल-अनुज प्रताप सिंह सूर्यवंशी पूरनपुर पीलीभीत उप्र


जन्म-मृत्यु क्षणिक पल 

जन्म और मृत्यु, बस क्षणिक हैं ये पल,  
आत्मा का सफर है, इसका अनंत कल।  
एक देह में प्रवेश, फिर छोड़ इसे जाना,  
जीवन का ये चक्र, सदा से चलता आना।  

जन्म है एक आरंभ, जहां से शुरू हुई यात्रा,  
मृत्यु है बस एक द्वार, न कोई अंत, न कोई त्रास।  
इन दोनों के बीच का समय है आत्मा की धारा,  
हर पल में है छिपी, उस परम सत्य की धारा।  

क्षणभंगुर हैं देह, मन, और यह सांस,  
पर आत्मा है अमर, जो रहती सदा पास।  
जीवन की ये लीला है केवल खेल,  
जन्म-मृत्यु के परे, आत्मा का है मेल।  

जो आया है, उसे एक दिन जाना ही है,  
पर ये भी तो सत्य है, कि फिर से लौट आना ही है।  
क्षणिक पल हैं ये, पर अर्थ है महान,  
आत्मा का सफर है, बस यही सत्य अजान।  

जन्म और मृत्यु, बस शरीर का है खेल,  
आत्मा अनंत, मुक्त, और सदा रहती अविचल।  
क्षणिक पल हैं ये, पर फिर भी गहन,  
इनके पार है मोक्ष, जहां मिलता है सच्चा जीवन।

अनुज प्रताप सिंह सूर्यवंशी 
पूरनपुर पीलीभीत उप्र 


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