रात की दहलीज पर
चांद उतर आया होगा।
तू ताक रहा आसमां को,
वो तो ज़मीं पर
नज़र आया होगा।
कैसी ज़न्नत सी,
आबोहवा हवा होगी
जब चांद तेरे पहलू में
समाया होगा ।
ज़रा इतरा कर ,
तूने भी चेहरा अपना
हथेली से छुपाया होगा।
पांव जमीं पर है या नहीं
ये तूने ज़रूर
आज़माया होगा।
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