ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

ज्योतिर्मय -प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई

शीर्षक:- ज्योतिर्मय 
तम मिट जाए जिससे ऐसे दीप जलाए,
दीपदान कर भटके को नूतन राह दिखाएं।

स्वच्छता और स्वास्थ्य का पैगाम सुनाए, 
हृदय विदारक रोगों से मुक्ति पाएं।

घर में तो हर साल उजाला करते हैं ,
क्यूँ ना अंधेरा किसी के मन से हटाए। 

रामराज्य तो कलयुग में बस एक कल्पना, 
समता के नूतन भाव भरें,
मन का मालिन्य मिटाएं।

 दीपक से हम जलना सीखें,
जीवन को रंगीन सजाएं।

अपनेपन की 'तारीफ़ की दवा बनाकर,
अस्पताल शरीर में सहयोग को ज्योतिर्मय बनाए।
(स्वरचित)

प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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