सतरंगी यादें।
कुछ खट्टी ,कुछ मीठी ,
खोली है आज सतरंगी यादों
की तिज़ोरी।
बचपन की हठ खेलियां ,
मासूमियत की धूमिल छवि।
आज कही यादों ने चेहरों को
सूरज सा चमका दिया है।
कही ने दिल को देहला दिया है।
वे गम देकर भूल गए हमने
तो संभाले है ,इस छोटी सी
तिजोरी में हर पन्ने का हिसाब है ।
जीवन की सतरंगी यादों का हिसाब है।
अनुप्रिया कुमारी
0 Comments