ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

सतरंगी यादें-अनुप्रिया कुमारी

सतरंगी यादें।
कुछ खट्टी ,कुछ मीठी ,
खोली है आज सतरंगी यादों
की तिज़ोरी।

बचपन की हठ खेलियां ,
मासूमियत की धूमिल छवि।
आज कही यादों ने चेहरों को 
सूरज सा चमका दिया है।
कही ने दिल को देहला दिया है।

वे गम देकर भूल गए हमने 
तो संभाले है ,इस छोटी सी 
तिजोरी में हर पन्ने का हिसाब है ।

जीवन की सतरंगी यादों का हिसाब है।

अनुप्रिया कुमारी



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