न मृत्यु थी न अमरत्व था, नही कोई तत्व था,
न रात्रि थी न दिवस था,ना काल ही का चक्र था।
अवात रुप श्वसित था जो, शून्यधर वह देव था,
नाद रूप अघोष रूप, शेष रूप वही एक अशेष था।
🙏तो कौन सूत्रधार था? ✍️वही तो सृष्टिकार है।
कौन था होता अध्वर्यु, कौन था विश्व वेदी प्रणेता?
कौन था वह स्वस्तिवाची,कौन था वह ऋत्विक चेत्ता?
अग्निरूप वह अंगिरा, वैश्वानर वही अरूप था।
था वही ही वेदिका, सामिध्य स्वाम्भु अग्निभूत था।
🙏वो कौन मंत्रकार था? ✍️वही तो यज्ञकार है।
था धरणि का कौन धारक,वह कौन वस्तु आकाश था?
वो तत्व कौन भूमि का, वृहती गगन विस्तार था ?
वह विश्वचक्षु, विश्वमुख,वह विश्वबाहु अधिदेव था।
भुज से गति,गगन नियामक,पाद से वसु वसुंधरा था।
🙏वो कौन वास्तुकार था? ✍️वही तो विश्वाधार है।
कौन है वह वन औ'तरुवर,कौन है प्रदाता सुकाष्टकर?
कौन है वह लोक वर्द्धकि,धरणी द्यौ प्रासाद कर्ता?
सुनो जिज्ञासु मनीषियो, वन ही वह परब्रह्म है।
वृक्ष ही वह ब्रह्म है और तक्षक वही पवमान है।
🙏वो कौन वर्धनहार था? ✍️वही तो सर्जनहार है।
कौन है वह त्रिधाम सर्जक, अधम् मध्यम् लोक उत्तम?
कौन है वह साधु कर्मा, कर्म अद्भुत और उत्तम?
द्यावा पृथ्वी पूज्य जिससे याज्ञिक वही है विश्वशिल्पी।
लोकरंजक विश्वकर्मा,वह सत्य दर्शक-सात्यकी ।
🙏वो कौन लोककार था? ✍️वही तो शिल्पकार है।
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