🙊चेतावनी 🙉
📚 चुनाव बीते कड़वा सच
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देख गोरियां चुनाव की बयारे
अब ठंड पड़ने लगी है
जो कल तक दम भरते थे रक्षा की तेरी
अब उनकी गाड़ी कोठरी में दुबकने लगी है
देख कलुआ मलुआ चुनाव बयारे
अब ठंड पड़ने लगी है
जो कल तक बाहें भरते थे जान की बाजी लुटा देने की
आज लूटने की हसरतें मन में पलने लगी है।
देख गोरियां चुनाव की बयारे
अब ठंड पड़ने लगी है
कल तक जो तुम्हें लड़ा रहे थे
हिंदू मुस्लिम में बांट रहे थे
जो जाति पाति में उलझा रहें थे
जो तेरी रक्षा में बाहें भर रहे थे
आज सरकार बनाने की गणित में
दोनों हाथ मिलाने लगे हैं
आज गुंडे मवाली उनके इर्द-गिर्द
मंडराने लगे हैं।।
जीवन में अब जिसे सुकून चाहिए
देख गोरियां कलुआ मलुआ
अब नहीं उलझना किसी से सब साथी
उनके बाहुबली नजर आने लगे हैं
जान जाए चाहे ,चाहें जल जाए तेरी मंडियां
अब तो उनके बोल बदलने लगे हैं।।
देख गोरियां चुनाव की बयारे
अब ठंड पड़ने लगी है
जो कल तक बाहें भरते थे तेरी रक्षा का
अब उनकी गाड़ी कोठरी में दुबकने लगी है
जो प्रशासन लगा था तेरी सुरक्षा में
अब उनकी सुरक्षा में तैनात नजर आने लगे हैं
जीवन में सुकून चाहिए
लडना नहीं किसी से अब तो उनके दुस्मन भी उनको दोस्त नजर आने लगे हैं।।
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कलम क्रांति का दर्पण है।
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