ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

सरल कुमार वर्मा उन्नाव,यूपी

आंख में जब दिल की नमी आई
बाद  उसके  ही   शायरी   आई

गर्दिशो में  गुजरती  गई  जिंदगी
ठोकरों     से     रफ्तगी     आई

देख कर लौट  गई  खुशी  दूर से
रुख   पर  उसके   बेरुखी  आई

कह   रहे    थे    बहार    लायेंगे
लिपट  कर   खिजां  चली  आई

बांट रहे  थे  बरकत  के  ताबीज़
बांधते    ही   मुफलिसी     आई

जी  रहे  हैं  अठारहवीं  सदी  में 
क्या करे  इक्कीसवीं  सदी आई

आए क्या वो महफ़िल में"सरल"
हर तरफ  सिफ्लगी  चली  आई

               सरल कुमार वर्मा
                   उन्नाव,यूपी

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