ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

सुषमा श्री निधि,राम की परम स्तुति में-महेन्द्र कुमार

सुषमा श्री निधि,राम की परम स्तुति में
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हिंद रज रज हर्षल प्रवाह,
निहार राम मंदिर निर्माण ।
कल्पना भव्य साकार रूप,
जनमानस स्पर्श पथ निर्वाण ।
बाईस जनवरी अद्भुत अनुपम,
सर्वत्र आनंद राम विग्रह भक्ति में ।
सुषमा श्री निधि,राम की परम स्तुति में  ।।

जय श्री राम उद्घोष स्वर,
संपूर्ण ब्रह्मांड ओज प्रभाव ।
सनातनी आभा मनमोहक,
धर्म आस्था मर्यादा छांव ।
स्नेह प्रेम अमिय धार ,
मृदुल संवाद अभिव्यक्ति में।
सुषमा श्री निधि,राम की परम स्तुति में  ।।

हिंद संस्कृति अंतर्निहित,
मर्यादा पुरुषोत्तम शीर्ष स्थान ।
आदर्श चरित्र प्रेरणा पुंज,
हर पल आदर आज्ञा ध्यान ।
वंश कुल परिवार वंदना,
संबंध अंतर अपनत्व प्रयुक्ति में ।
सुषमा श्री निधि,राम की परम स्तुति में  ।।

सरयु तट शोभित अयोध्या,
अप्रतिम पौराणिक महत्ता ।
अवतरण स्थल श्री रामचंद्र,
राजधानी कोसल अनूप सत्ता ।
वर्तमान रामलला प्राण प्रतिष्ठा, 
रामराज्य अभिलाष जनशक्ति में।
सुषमा श्री निधि,राम की परम स्तुति में  ।।

महेन्द्र कुमार
(स्वरचित मौलिक रचना)

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