ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

जय माँ कात्यायनी-कंचन मिश्रा शाहजहाँपुर (उ. प्र.)


जय माँ कात्यायनी...

ऋषि कात्यायन से प्रसन्न हो माँ दुर्गा ,
पुत्री का जन्म ले कात्यायनी कहलाईं।

वैघनाथ है धाम तुम्हारा,
अमोध फलदायनी हो माँ।
कुलदेवी बनी श्रीकृष्ण की,
ब्रजमंडल की बनी अधिष्ठात्री देवी माँ।

स्वरूप अत्यंत भव्य,दिव्य है माँ का,
स्वर्ण के समान तेज, भास्वर हो।
तेरी महिमा गाकर हे माँ,
संताप, भय सर्वथा विनष्ट हो।

सच्चे मन से करें आराधना,
चाहे कितनी भी मुश्किल हो।
दूर करें माँ संकट को,
सर्व कार्य सफल हों।

अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष
चारों फलों की प्राप्ति हो।
नारी शक्ति कर उपासना,
मनवांछित फल पाये धन्य हो।

चंदन तिलक लगाकर माँ को,
नित माँ को ही ध्याउँ।
माँ के चरणों से लगकर,
महिमा मैं खूब सुनाऊँ।

पीले वस्त्र, पीले फूल,
अर्पित करूँ माँ को,
चंदन तिलक लगाऊँ।
रहे जिंदगी मेरी जब तक,
तेरी बंदगी कर पाऊँ।

- कंचन मिश्रा
शाहजहाँपुर (उ. प्र.)


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