जिन्दगी
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जिंदगी तो उलझनों से भरी,
हम सब, सुलझाने आये है,
खाली पन्नो में,
अपने शब्द भरने आये हैं,
वह शब्द ही तो,आप के बारे में, बतलायेंगे,वह लिखे पन्ने,आने वाले वक्त में,पलटे जाएंगे।
आपको जो अभिनय मिला,
वह दमदार होना चाहिए,
कार्यो में ईमानदारी और,
अलग नाम होना चाहिए।
कुछ दिन का मेला है,फिर अकेले हो जाना है,यह तो जीवन है,आना और जाना है।
जाना तो तय है,
उसे कोई, कभी रोक न पाया,
यहां भले खूब इकट्ठा,
लेकिन कुछ साथ, जा नही पाया।
भारी भीड़ दिखती है,लेकिन कोई कोई ही साथ रहता,नाम मस्तिष्क में आग चलते,लेकिन दिल मे, कोई कोई नाम ही बसता।
भीड़ तो बस,
लाभ के लिए साथ चला करती,
जिंदगी की नैया तो,
दिल मे बसने वाले में साथ ही, पार होती।
बस इसी तरह,हम सब जीवन जीने आये हैं,जिंदगी तो उलझनों...............
✍️
कंचन मिश्रा
शाहजहाँपुर, उ. प्र.