नयना
नयनन में भी चंचल बानी हⵢ, रसिकन सन चपल रवानी हⵢ ।
कबहुं ठुमकि रहि,बइठंँ इ नयना , कबहूँ उठिहंँ,नचिहं लाखानी हँⵢ ⵏ।
नयना मिलि दुई,चार जब होलंँ,
होला मनवांँ हलचल,भूचाली हंँⵢ।
सागर के लहरन जइसन इ उछरें,
हिया हिलोरें नयना,लासानी हंँⵢⵏ।
सुखवा दुखवा अति झरिहंँ नयना,
रगरा झगरा बिन लड़िहंँ इ नयना ।
गलती केहू कर, घहिरावें केहू पर ,
दिल चोटिल कर,तड़िपावें नयना।।
कबहूँ बनिहंँ बैरागी, इ नयना,
कबहूँ होइहंँ अनुरागी,नयना।
कबहूँ नटिहंँ सनकरिहंँ नयना,
कबहूँ नटिनी बनिजइहंँ नयना।।
कबहूँ अगनी बरसइहंँ नयना,
कबहूँ अगनी उपजइहंँ नयना।
सूरज जइसन तेजस हँ नयना ,
चन्दा जइसन शीतल हँ नयना।।
भौंहन धनुहीं संँधावे इ नयना,
हनि हनि बान चलावें नयना।
बैरिन बनि हरिहँ,इ प्रानन के,
रहि रहि घात लगावें नयना।।
धनवंतरी बनि जइहँ नयना,
पयघट पान करइहँ नयना।
सोमसुरा छलकइहँ इ नयना,
छलिया बनि छलकरिहँ नयना।।
कमल पँखुरी जइसन इ नयना,
भंवरा शयन करवावें इ नयना।
मदभरी रसीली रसवंती नयना,
कामुक रूप लुभावें इ नयना।।
(क्रमशः-2)
✍️चन्द्रगुप्त प्रसाद वर्मा "अकिंचन"

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