ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

प्यार बाँटते चलो-निरेन कुमार सचदेवा

——-प्यार बाँटते चलो———


कान्हा को राधा ने प्यार का पैग़ाम लिखा, पूरे ख़त में सिर्फ़ कान्हा कान्हा नाम लिखा।
तेरे रंगों में ढलकर एक अहसास हो जाऊँ, सँसार प्यार से कहे, कान्हा संग राधा।
और कान्हा का प्यार भी बँट गया , मीरा को मिला आधा, राधा को मिला आधा।
लेकिन इसी बहाने , दोनो को रहा फ़ायदा, दोनो को ही मिला ज़्यादा।
क्यूँ ना हम भी प्यार बाँटना सीख लें , बहुतों को प्यार दे और कुछ से प्यार लें।
आप प्रीत दोगे तो फिर मिलेगी भी प्रीत, फिर आप बखूबी गायोगे प्रेम गीत।
प्रेम में कभी भी हार नहीं होती, हमेशा होती है जीत, प्रीत की है कुछ ऐसी ही अजब रीत।
और एक राज़ की बात बताऊँ , प्रेम बाँटने से हो जाता है दोगुना, प्रेम में छिपी हुई है कुछ ऐसी ही अजीब ओ गरीब अदा।
बाँट कर तो देखो अहसासे प्रीत, फिर चौबीसों घंटे सुनाई देगी प्यार की सदा।
देखा , प्रेम बाँटने पर ज़िन्दगी में छा गया मज़ा, और अब आप के साथ है कान्हा की भी रज़ा।
जो प्रेम बाँटतें हैं, कान्हा भी उन्हीं बाशिन्दों पर होता है क़ायल।
सच्चा प्रेम इन्सानों को दीवाना बना देता है, हो जाते हैं फिर वो प्रेम में पागल ।
तो मेरे अज़ीज़ो , प्रेम बाँटने में हो जाओ तुम निपुण, सीख लो ये गुण।
फिर लोग तुम्हें याद रखेंगे सदियों सदियों तक, उस वक्त तक जब दो दिल साथ धड़केंगे धक धक।
चलो इस पूरी कायनात पर हम लाते हैं हम क्रान्ति प्यार की।
और अथाह प्रेम बाँटने की रीत बना देते हैं इस सँसार की!

लेखक——-निरेन कुमार सचदेवा।
Love 💕 is Almighty”s greatest gift 🎁 given to mankind !

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